Tuesday 19 May 2020



हे ज्ञान अधिष्ठात्री मां शारदे...!
मेरा कोटि कोटि वंदन स्वीकार करो....

मुझ अल्पज्ञ की तुच्छ प्रार्थना...
शब्द-पुष्प, वाणी का चंदन स्वीकार करो....

मैं, मूढ़ मति, बालक नादान....
क्रोधी, दम्भी, तम-ग्रसित, लोभ-द्रवित ....

इन दुर्गुणों से मुझे निकाल....
भव भावों का करुण क्रंदन स्वीकार करो...

अपनी कृपा के आशीर्वाद से,
यश-सुगंध, धवल चरित्र, विमलमति तैयार करो...

Friday 22 March 2019



नही पता ये बेकरारी क्यूँ है...
तेरे नाम से खुमारी क्यूँ है...
न तेरे नाम के सज़दे हैं सिला...
दानिश फ़क़त ये फ़रारी क्यूँ है ...



तू जुदा हो कर भी जुदा नहीं मुझसे...
रवां हो कर भी रवां नहीं मुझ में...
तू मिला था गोया मंजिल सा मुझे...
तेरे बिन अब ये आबकारी क्यूँ है...



न कहे जो मैंने किस्से कभी कहीं...
कहना दिन रात चाहता हूँ उसे...
हर घड़ी पाबन्द है तेरी मुहब्बत में...
फिर ये आँखों का दरिया खारी क्यों है...



समंदर सा वजूद लिए फिरता हूँ....
एक अदनी नन्हीं सी बूँद में ...
रूह के साए सी तुम वाज़िन्द हो... फ़िर
तूफानों में कश्ती किनारे उतारी क्यूँ है...

Friday 29 November 2013

जन्मदिन

तमन्ना-ए-दिल रूआब हो इस कदर,
चेहरा-ए-तबस्सुम मे आब हो इस कदर।
आफताब भी खुद आकर कहे जमीं पर
बरसे तुम पर खुशी जीवन भर।

ना लफ्ज हो माँगने का दुआओं मे तेरी,
आबाद हो जाए वो जिसको दे तू दुआ हँस कर
रहमत खुदा की हो तुझ पर इस कदर।
दुआ कुबूल हो मेरी ए-दानिश
याद रहे ये सालगिरह जीवन भर

Wednesday 30 October 2013

नजरें

तेरी तीखी नजरों ये ख़ंजर, नखरे की ये नजर, उफ़ ये मंजर ।
जुल्फों ने बढ़ाई ये बेकरारी कैसी, रुख पर तेरे ये पहरे के मंजर ॥

तेरी इस नजर की खातिर, कितनी बार न जाने
उसने बदले खुद के मंजर ।

शरारती नजरों को छिपाती निगाहें तेरी, कहे ना लफ्जों से
दानिश नजर बयाँ करती है खुद अपने मंजर॥...

Friday 25 October 2013

अखरना !

उसका होना ना होना इतना अखरता नहीं है मुझे,
जितनी तेरी ये बात अखर जाती है।

किसी ना किसी बहाने ये पूछ लेना कि
 "क्या अब भी मुझे उसकी याद आती है ?"

Thursday 3 October 2013

Khata ......

Unhen chahne ki khata meri hai,
Bas unhen ishq karne ki khata meri hai.

Vo sab keh jate hain un isharon se,
Alfaz labo pe lane ki khata meri hai.

Unhe ishq ne khudai baksh di,
Bas shaitaniyan karne ki khata meri hai.

Vo sharmate bhi is ada hain ki khabar dusre ko na ho,
Bas ishq ko ruswah karne ki khata meri hai.

Shauk nazaro se pine ka unhe bhi hai vaiz,
Bas shauk unki nazaro me doobe rehne ki khata meri hai.

Vo akhtiyar karte koi nakab nahi,
Ishq me bhi hazar chehre rakhne ki khata meri hai.

Unki nazar-e-inayaton pe jinda hoon main yahan,
bas unki dhadkan ke sahare saans lene ki khata meri hai.


Usi ki yaado me doobe rehne me mashgool hoon main,
Na yaad karu jo usko Danish, din na gujar paane ki khata meri hai. 

Friday 27 September 2013

Aks.....

Kaise karoon bayan us khwab ko,
Chahaton ke riste, noor-e-aftab ko.
Juban-e-aaine par baaki honge, nishan hamere,
Kyun kar ruswah kar doon, Aks tumhare Ruaab ko.

     --e - DANISH