Tuesday 19 May 2020



हे ज्ञान अधिष्ठात्री मां शारदे...!
मेरा कोटि कोटि वंदन स्वीकार करो....

मुझ अल्पज्ञ की तुच्छ प्रार्थना...
शब्द-पुष्प, वाणी का चंदन स्वीकार करो....

मैं, मूढ़ मति, बालक नादान....
क्रोधी, दम्भी, तम-ग्रसित, लोभ-द्रवित ....

इन दुर्गुणों से मुझे निकाल....
भव भावों का करुण क्रंदन स्वीकार करो...

अपनी कृपा के आशीर्वाद से,
यश-सुगंध, धवल चरित्र, विमलमति तैयार करो...